लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के 60 से अधिक जिलों में 27 अप्रैल के बाद से मौसम कहर ढाए हुए है। रविवार को पश्चिम से लेकर पूरब में भारी बारिश के बीच ओले गिरे हैं। इसी बीच कुछ जिलों आकाशीय बिजली गिरने से लोगों की मौत भी हुई। आंधी और ओले ने भी प्रहार किया, जिससे आम की फसल को भारी नुकसान हुआ। मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों तक 59 जिलों में भारी बारिश, आंधी, वज्रपाज का अलर्ट जारी किया है।
उत्तर प्रदेश के 60 से अधिक जिलों में मौसम का कहर देखने को मिला। रविवार को कई जिलों में आंधी-बारिश के साथ वज्रपात का सामना लोगों को करना पड़ा। आकाशीय बिजली गिरने से कई लोगों की जान चली गई। ओले और आंधी ने आम की फसल को बर्बाद कर दिया। फतेहपुर की महिला किसान राजाबाई मौसम के प्रहार से फूट-फूट कर रोई। राजाबाई ने बताया कि उनके पास आम का बगीचा है। आंधी, बारिश और ओले गिरने से आम की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। ऐसे में अब दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया हे।
मौसम विभाग के मुताबिक, 5 मई को पश्चिमी यूपी में कुछ स्थानों पर और पूर्वी यूपी में अनेक स्थान पर बारिश और गरज चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। इस अवधि में कहीं-कहीं पर बादल गरजने व बिजली चमकने के साथ ही आंधी तूफान आने की भी संभावना जताई गई है। इस तरह प्रदेश में 10 मई तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, सोमवार को आसमान में बादल मंडराते रहेंगे। बारिश के साथ आंधी का भी सामना करना पड़ सकता है। इससे आम के अलावा गेहूं की फसल को भी नुकसान होने की संभावना है।
इस साल आम उत्पादक किसानों ने अच्छे उत्पादन की उम्मीद जताई थी, क्योंकि आम की फसल में फूल काफी अच्छे आए थे, लेकिन अप्रैल व मई महीने से ही मौसम की मार से आम बुरी तरह से जख्मी हो गया। बेमौसम बारिश, तेज हवाएं और ओले गिरने से आम की फसल को लगातार नुकसान पहुंचा है। पांवटा और उत्तराखंड के साथ लगते क्षेत्र में आम को अब तक 60 फीसदी तक नुकसान पहुंच चुका है। आम उत्पादक किसान काफी ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि इस बार आम की फसल को बचाने के लिए वह कई बार दवाओं का छिडक़ाव भी करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद भी आंधी और बारिश की वजह से काफी आम गिर चुके हैं।
यूपी के सुलतानपुर में प्रतिकूल मौसम के कारण आम की फसल को भारी नुकसान हो रहा है। देशी आम अभी तक अपना पूरा आकार नहीं ले पाया है। पेड़ों पर लगी अमियां हवा के हल्के झोंके से ही गिर रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें पके आम, खटाई और अमचूर से अच्छी आमदनी की उम्मीद थी। लेकिन बारिश-आंधी ने आम को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि विभाग के एडीओ मोहम्मद जुबेर ने बताया कि अमियों का पीला पड़ना और गिरना एक बीमारी है। इसका उपचार मंजरी आने के समय ही करना चाहिए। इससे ढेंपी मजबूत बनती है और अमियों का गिरना रुक सकता है। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल मौसम के कारण इस बार केवल 50 प्रतिशत फसल ही बच पाएगी। इससे आम का उत्पादन काफी कम होगा।
लखनऊ के मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बदलते मौसम पर कहा कि इस समय दक्षिण पश्चिमी राजस्थान के ऊपर एक शुष्क रेखा मौजूद है। यह रेखा केरल तक जा रही है, इसके प्रभाव से पूरा प्रदेश प्रभावित है। इसके साथ ही एक शक्तिशाली पश्चिमी विछोभ भी सक्रिय है। बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी युक्त हवाएं और दक्षिणी पश्चिमी हवाएं आपस में टकराने के कारण मौसम में बदलाव ला रही हैं। ऐसे में 10 मई तक मौसम में ज्यादा कुछ बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। प्रदेश के अधिकतर जिलों में बारिश और आंधी का सिलसिला जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आंधी-बारिश, ओलावृष्टि के मद्देनजर सम्बन्धित जिलों के अधिकारियों को पूरी तत्परता से राहत कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी क्षेत्र का भ्रमण कर सर्वे करें और राहत कार्य पर नजर रखें। आकाशीय बिजली, आंधी तूफान, बारिश आदि आपदा से जनहानि और पशुहानि होने की स्थिति में तत्काल प्रभावितों को राहत राशि का वितरण करें। घायलों का समुचित उपचार हो। साथ ही अधिकारीगण सर्वे कराकर फसल नुकसान का आकलन करते हुए आख्या शासन को भेजें, ताकि इस सम्बन्ध में आगे की कार्यवाही की जा सके।