राजस्थान की सियासत में चल रहा घमासान अब शायद शांत हो जाए। क्योंकि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के एक फैसले ने पूरा तख्ता पलट कर दिया है। दरअसल बीते कुछ दिनों से काग्रेंस अध्यक्ष पद को लेकर काफी हंगाम चल रहा था कि इस रेस में कौन शामिल होंगे। इस रेस में सीएम अशोक गहलोत शुरू से चर्चा में था। लेकिन अब तस्वीरें साफ हो गई है क्योंकि राजस्थान के सीएम अशोक गहोलत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने इंकार कर दिया है।
मैंने कांग्रेस का वफादार सिपाही हूं
दरअसल बीती देर रात सीएम गहलोत पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे। आज उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे बातचीत चली। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि ‘मैंने हमेशा कांग्रेस के लिए वफादार सिपाही के रूप में काम किया है और सोनिया जी के आशीर्वाद से मैं तीसरी बार राजस्थान का सीएम बना हूं।
लेकिन प्रदेश में दो दिन पहले हुई घटना ने मुझे हिला कर रख दिया है। मुझे उसका बेहद दुख है। उन्होंने कहा कि मैं कोच्चि में राहुल गांधी से मिला और उनसे कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने का अनुरोध किया। जब उन्होंने स्वीकार नहीं किया तो मैंने कहा कि मैं चुनाव लड़ूंगा। लेकिन मैं राजस्थान हुए हंगामे के बाद मैंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।
सोनिया गांधी तय करेंगी सीएम रहूंगा या नहीं
राजस्थान के सीएम बने रहने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि यह मैं तय नहीं करूंगा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यह तय करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पारित करना हमारी परंपरा है। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई कि मैं प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। लेकिन मुख्यमंत्री होने के बावजूद प्रस्ताव पारित नहीं करा सका। ये मेरी नैतिक जिम्मेदारी थी।
हालांकि मैंने इसके लिए सोनिया गांधी जी से माफी मांग ली है।’ मिली जानकारी के अनुसार अशोक गहलोत राजस्थान को छोड़कर दिल्ली आने के इच्छुक नहीं थे। उन्होेंने सीएम पद के लिए सोनेिया गांधी से पेशकश भी की थी। ऐसा माना जा रहा है कि गहलोत सीएम पद पर बने रह सकते हैं। क्योंकि राजस्थान में बहुमत उनके पक्ष में हैं।
आपको बता दें कि राजस्थान में मचे सियासी बवाल के बाद से कांग्रेस हाईकमान अशोक गहलोत से कुछ नाराज नजर आ रहा था। वहीं दिल्ली में विरोधी खेमा सीएम गहलोत पर हावी नजर आ रहा था। हालांकि कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने सीएम गहलोत को क्लीन चीट दे दी थी। एक बार फिर से उनके अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन अब तस्वीरें साफ है।