Meerut जेल में गुर्जर नेताओं से चंद्रशेखर की सीक्रेट मीटिंग… पथराव-गिरफ्तारी के बाद सियासत में मचा तूफान!

मेरठ से सियासी हलचल तेज—सांसद चंद्रशेखर आजाद ने जेल में बंद गुर्जर नेताओं से मुलाकात की। गुर्जर महापंचायत में पथराव और गिरफ्तारियों के बाद यह कदम चुनावी रणनीति और समुदाय के साथ बढ़ते राजनीतिक समीकरणों को नया रंग देता है।

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Meerut news: मेरठ से बड़ी राजनीतिक खबर आ रही है। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने 25 सितंबर 2025 को मेरठ पहुंचकर जेल में बंद गुर्जर नेताओं से मुलाकात की। इनमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रविंद्र भाटी भी शामिल हैं। यह मुलाकात उस गुर्जर महापंचायत के बाद हुई है, जिसमें Meerut पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव भी हुआ था। चंद्रशेखर ने जेल पहुंचकर गुर्जर नेताओं से कहा कि वे उनके परिवार के सदस्य हैं और उनके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे आगामी चुनावों और गुर्जर समुदाय के साथ संबंध मजबूत करने की रणनीति के रूप में देख रहे हैं।

मेरठ जेल में चंद्रशेखर की मुलाकात

चंद्रशेखर आजाद ने चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रविंद्र भाटी समेत अन्य गुर्जर नेताओं से मुलाकात की। वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा ने उनका स्वागत किया और विशेष अनुमति देकर केवल पांच लोगों को ही जेल के अंदर जाने की इजाजत दी। मुलाकात के दौरान चंद्रशेखर ने कहा कि गुर्जर नेताओं की हिफाजत उनके लिए सर्वोपरि है और वे उनकी आवाज को हर मंच पर बुलंद करेंगे। सुरक्षा कारणों से जेल के बाहर भारी पुलिस बल तैनात था, और काफिले को कई स्थानों पर रोकने की कोशिश हुई।

गुर्जर महापंचायत और गिरफ्तारी

21 सितंबर 2025 को मेरठ के दौराला इलाके में गुर्जर महापंचायत आयोजित की गई थी। इस महापंचायत का उद्देश्य गुर्जर समाज के हक, चुनावी हिस्सेदारी और सामाजिक सम्मान पर चर्चा करना था। लेकिन Meerut पुलिस के हस्तक्षेप और भीड़ के पथराव के कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इस दौरान एक उपनिरीक्षक और एक कांस्टेबल घायल हुए। Meerut पुलिस ने 22 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 17 को जेल भेजा गया। ये गिरफ्तारी गुर्जर नेताओं में आक्रोश फैलाने वाली घटना बन गई।

राजनीतिक मायने और गुर्जर समाज का आक्रोश

चंद्रशेखर ने गिरफ्तारियों को सरकार की तानाशाही करार देते हुए उनकी रिहाई की मांग की। उन्होंने गुर्जर समाज के साथ अपने समर्थन का ऐलान किया और कहा कि वे उनके हक के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मुलाकात न केवल गुर्जर समुदाय के साथ संबंध मजबूत करने की रणनीति है, बल्कि आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति को भी मजबूती प्रदान करेगी। राष्ट्रीय गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति ने भी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिससे उत्तर प्रदेश में सामाजिक-राजनीतिक तनाव बढ़ता दिख रहा है।

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