कानपुर ऑनलाइन डेस्क। आपने मिर्जापुर वेब सीरीज में कालीन भैया और गुड्डू भैया की कहानी तो जरूर सुनी होगी और उनके दमदार किरदार को देखा होगा। लेकिन आपने मिर्जापुर के ‘कालिया’ बंदर के किस्से को नहीं सुना होगा। ‘कालिया’ बंदर भोर पहर जग जाता और सीधे शराब की दुकान पर पहुंचता। शराब पी रहे लोगों के हाथों से बोतल को छीन लेता और मौके से भाग खड़ा होता। फिर पूरी बोतल को गटक जाता। नशे में धुत होकर महिलाओं को छेड़ता तो पुरूषों को अपने नुकीले दांतों से काट लेता। कालिया का आतंक मिर्जापुर जनपद में था। ऐसे में वन विभाग और कानपुर चिड़ियाघर की टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर नशेड़ी बंदर को पकड़ा। उसे जू लाया गया। करीब सात से आठ सालों से वह पिंजरे के अंदर बंद है और अजीवन सलाखों के अंदर ही बंदर रहेगा।
शराब-मांस का तली था बंदर
कहानी मिर्जापुर के कालिया बंदर की है। जिसे करीब आठ साल पहले मिर्जापुर से पकड़ कर कानपुर वन्य प्राणि उद्यान लाया गया था। यह बंदर वहां के एक तांत्रिक के साथ रहता था। चूंकि तांत्रिक मांस व मदिरा का शौकीन था और बंदर को भी वही खिलाता था, इसलिए वह भी मांस और शराब का लती हो गया। इस बीच तांत्रिक की मौत हो गई। शराब और मांस मिलना बंद होने से बंदर आक्रामक हो गया। लोगों पर हमला करने लगा। चिड़ियाघर के डॉक्टर्स बताते हैं कि तांत्रिक ने बंदर का नाम कालिया रखा हुआ था। तांत्रिक ने उसे नशेड़ी बना दिया था। बंदर इस कदर शराब के प्रति लालायित था कि शराब की दुकानों में घुस जाता था। शराब लेकर जा रहे लोगों पर हमला कर बोतल छीन लेता था। उन्हें काट लेता था। मिर्जापुर में एक तरह उसका आतंक था और 250 से अधिक लोगों को काट चुका था।
8 साल से सलाखों के पीछे है बंदर
मिर्जापुर वन विभाग और कानपुर की चिड़ियाघर की टीम ने बंदर को ट्रैंकुलाइज कर दबोचा। उसे कानपुर जू लाया गया। कानपुर जू के डॉक्टर्स बताते हैं कि इस बंदर का कानपुर में ’मिर्जा लाल मुंह वाला नाम रखा गया है। वहां इसे कलुआ कहते थे। कानपुर लाने के बाद उसे यहां अलग बाड़े में रखकर शाकाहारी खाना दिया लेकिन उसके स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया है। वह अभी भी आक्रामक है और किसी को भी देखकर हमलावर हो उठता है। इसीलिए उसे बाड़े में बंद रखा जाता है। जब तक उसका स्वभाव सही नहीं हो जाता, वह बाड़े में ही रहेगा। बंदर को को शाकाहारी भोजन दिया जा रहा है। उसके स्वभाव के बारे में 2020 में शासन को पत्र लिखा गया था। फिलहाल आठ साल बीत जाने के बाद अब भी वह उतना ही खूंखार है, जितना पहले था। उसके स्वभाव में परिवर्तन नहीं आया। लिहाता अब कालिया आजीवन पिंजरे में ही रहेगा। बंदर की उम्र लगभग 11 वर्ष की हो गई है। एक बंदर की औसतन आयु 14 से 15 वर्ष तक की होती है।
महिलाओं से दुश्मनी
मेडिकल रिकॉर्ड के मुताबिक, कालिया बंदर ने मिर्जापुर में 250 महिलाओं और बच्चों को अपने खुंखार दांतों का शिकार बनाया।यहां तक की इसने एक बच्ची की हत्या तक कर डाली थी। बंदर ने चिड़ियाघर के वन रेंजर चौहान की बेटी का पूरा गाल ही काट लिया था। डॉक्टरों का कहना है कि इसके आगे के दांत इतने खतरनाक हैं कि वह पूरा मांस ही उखाड़ लेता है। ये इतना चालाक है की खाना देने वाले पुरुष व्यक्ति से तो नाराज हो जाता है लेकिन किसी महिला को देखते ही इशारे से उनको बुलाकर काटने की कोशिश करता है। आठ साल में इसने महिलाओं और बच्चियों से अपनी दुश्मनी नहीं बदली। उनको आज भी अपना दुश्मन मानता है। कानपुर चिड़ियाघर घुमने आए एक दर्शक ने बताया कि हमने कालिया बंदर के बारे में पड़ा। बंदर को इंसान ने अपनी संगत से क्रूर बना दिया। उसको औरतों और बच्चों का दुश्मन तक बना दिया। सजा का हकदार तांत्रिक था जिसने उस जानवार की फितरत बदल दी।
शराब समझ कर पी जाता है बोतल का पानी
कालिया बंदर शराब का इस कदर लती है कि अगर उसके सामने पानी की बोतल को रख दिया जाए तो वो अपने हाथों से उसे पकड़ लेता है। शराब समझ कर बोतल के पानी को एक सांस में पी जाता है। कालिया बंदर के बारे में बताया जाता है कि वह महिलाओं को देख कर उग्र हो जाता है। जानकार बताते हैं कि तांत्रिक के पास बंदर के अलावा एक बंदरिया भी थी। बंदरियां तांत्रिक के चंगुल से भागने में कामयाब रही थी। बंदरिया के चले जाने के बाद बंदर के स्वभाव में एकाएक परिवर्तन आ गया। जानकार बताते हैं कि बंदर ने कईबार तांत्रिक को भी काटा। तांत्रिक की मौत के बाद वह आजाद हो गया और गली-मोहल्ले में आतंक मचाना शुरू कर दिया। सबसे ज्यादा बंदर ने महिलाओं को अपना शिकार बनाया।